|| स्वामी रुपेश्वरानंद जी महाराज ||

स्वामी रुपेश्वरानंद 

आध्यात्मिक मार्गदर्शक एवं  मंत्र विशेषज्ञ 

स्वामी रुपेश्वरानंद जी एक आध्यात्मिक साधक एवं मन्त्रयोगी है ! 10 वर्ष की कम आयु से ही भगवान की भक्ति,  उपासना और मन्त्र साधना में रूचि के कारण आपने 17 वर्ष की आयु में ही घर परिवार त्याग कर साधू जीवन स्वीकार किया और पिछले 25 वर्षों से मंत्र एवं योग साधना के क्षेत्र में निरत है ! साथ ही राष्ट्र- समाज की सेवा भी अपना कर्तव्य समझकर विभिन्न सेवा कार्यों में संलग्न रहते है !





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स्वामी जी अपनी साधनाभूमि " श्री बलुआघाट ( जिला - चंदौली , उ .प्र . ) नामक स्थान पर २५ वर्ष से ( नवम्बर 1997 से ) साधनारत है ! इसके अतिरिक्त बजरंगगढ़ ( गुना, म . प्र . ) नामक स्थान पर  एक गुफा में भी आपने ४ -५ वर्ष एकांत और उग्र साधना की है ! ( गुफा की फोटो उसी स्थान स्थान की है )  हिमालय के अनेक दुर्गम स्थानों पर रहकर भी आपने अपना साधनामय जीवन व्यतीत किया है !  

मन्त्र साधना , योग उपासना और जड़ी - बूटी विज्ञान को समझने हेतु आपने अपने जीवन के अमूल्य क्षण व्यतीत किये है ! ऋषि-मुनियों के ज्ञान - विज्ञान को समझने के लिए आप सतत प्रयत्नशील और साधना शील रहते है ! आपने अपने संपर्क में आये अनेक पीड़ित जनों को तपस्या से अर्जित ज्ञान से भौतिक एवं आध्यात्मिक लाभ पहुँचाया है ! वर्तमान में भी आप सदैव अपनी साधना - उपासना में ही तल्लीन रहते है ! साथ ही समयानुसार जन कल्याण के लिए भी तत्पर होते है !

 

मां भगवती पीताम्बरा की दैवीय प्रेरणा से आपने बलुआ स्थित आश्रम पर दिनांक : 28 जनवरी 2012 वसंत पंचमी को भगवती पीताम्बरा की मूर्ति स्थापित कर आश्रम को पीठ का स्वरुप दिया और जन संपर्क से दूर एकांत में मां भगवती पीताम्बरा की उपासना करते आयें है ! आज भी क्षेत्र के जन समाज को ज्ञात नहीं है कि , उनके क्षेत्र में माँ भगवती पीताम्बरा , जो एक महाविद्या शक्ति है , की स्थापना की गई है ! विशेष साधक ही मां भगवती पीताम्बरा के इस विग्रह का दर्शन कर पाते है ! 

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Swami Rupeshwaranand नामक युटुब चैनल ( Youtube Channel )  से भी साधना - उपासना के ऋषि -मुनि प्रणीत  सहज ज्ञान- विज्ञान को जन सुलभ कराने के प्रयत्न में रत है ! कोरोना महामारी के संकटकाल में स्वामीजी ने " श्री दुर्गा सप्तशती पाठ " का प्रयोग करते हुए राष्ट्र एवं विश्व कल्याण हेतु " राष्ट्र रक्षा महायज्ञ " के दूरस्थ आयोजन किये , जिसमे अनेक उपासकों ने घर में रहते हुए भी " पाठक " की भूमिका निभाई और राष्ट्र कल्याण में सहयोगी के रूप में भागीदार बनें ! स्वामीजी के सहज मार्गदर्शन से सामान्य गृहस्थ उपासक भी उच्च कोटि के दैवीय अनुभव से लाभान्वित हुए ! 

मन्त्र विज्ञान के साथ - २ " श्री कुंडलिनी महायोग" का भी आपने अभ्यास कर शक्तिपात दिक्षा के माध्यम से अनेक साधकों को भी दैवीय कृपा का भागीदार बनाया है !  वनौषधि शास्त्र , ज्योतिष , वास्तु , हस्तरेखा , धातु विज्ञान के साथ - श्रीमद् भागवत , श्री शिव पुराण आदि शास्त्रों के भी आप प्रवक्ता है ! अनेक श्री भागवत कथाओं का आयोजन एवं श्री चंडी महायज्ञ का आयोजन भी करते आये है ! 


ऋषि - मुनियों के ज्ञान - विज्ञान के साथ - २ सामाजिक और राष्ट्र कल्याण हेतु अनेक योजनाओं को साकार रूप में देने में वे सतत प्रयत्नशील रहते है ! 

वर्तमान में ऋषि -मुनियों के ज्ञान - विज्ञान को जां सुलभ करने हेतु अनेक दिव्य स्तोत्र , मन्त्र आदि का शुध्द और सरल स्वरुप वेबसाइट के माध्यम से उपलब्ध कराया गया है ! साथ ही साधकों को घर बैठे अपने आध्यात्मिक मार्गदर्शन में सहज एवं सरल आध्यात्मिक मार्गदर्शन भी प्रदान कर रहे है ! 

आनेवाले समय में ऋषि परम्परा की पुनः स्थापना हेतु मंत्र विज्ञान में पारंगत तपस्वी साधकों एवं साधिकाओं का निर्माण करने हेतु तथा उनके आवास , भोजन आदि की आजीवन व्यवस्था हेतु माँ गंगा के तट पर स्थित स्वामी रुपेश्वरानंद आश्रम को " श्री पीताम्बरा साधना पीठ " के रूप में परिवर्तित करने की भावी योजना है !  यहाँ परीक्षित साधकों के आवास , मंत्र साधना , यज्ञ अनुष्ठान आदि की व्यवस्था की जाएगी  तथा दैवीय आपदा अथवा राष्ट्र संकट के समय मन्त्र विज्ञान के माध्यम से राष्ट्र एवं जन समाज की सुरक्षा एवं कल्याण हेतु दैवीय अनुष्ठान संपन्न किये जायेंगे ! 

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