
" दैवीय संरक्षण अभियान " के अंतर्गत
श्रध्देय स्वामी रुपेश्वरानंद जी महाराज के नेतृत्व में
गाँव - गाँव, नगर - नगर, समस्त भारत
श्री बजरंग बाण समूह
(Shri Bajarang Baan Whatsapp Group )
के माध्यम से सभी सनातन धर्म अनुयायी संगठित , समर्थ एवं सक्षम बनें एवं राष्ट्र समाज को दैवीय संरक्षण प्रदान करने हेतु सहायक बने..!!!
" श्री बजरंग बाण समूह " का क्या उद्देश्य है ?
सनातन धर्म का सिध्दांत है कि :
ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै । तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ।
अर्थात ईश्वर हमें सभी की रक्षा करें ! हम सभी का भरण पोषण करें ! हम सभी को वीर्यवान अर्थात उर्जावान बनायें ! हम सभी तेजस्वी बनाकर विद्या , सामर्थ्य प्राप्त करें ! हम परस्पर एक दुसरे से द्वेष न करें अर्थात परस्पर मिलकर रहे , संगठित होकर रहें !
इसी सिध्दांत को ध्यान में रखते हुए हमें यह प्रेरणा मिलती है की, धर्म का ज्ञान हमें संगठित होकर और परस्पर ईर्ष्या भाव मन में न रखकर मिलकर रहने की प्रेरणा देता है ! परन्तु आज हम पानी संस्कृति और संस्कार के साथ -2 धर्म शास्त्रों के सिध्दांत भूल चुके है ! परिवार नष्ट हो चुके है , संकट के समय हमारा साथ देनेवाला , सहयोग करनेवाला कोई निकटवर्ती नहीं रहा है ! जबकि अधर्मी संगठित होते है और वे सक्षम भी बन रहे है !
वर्तमान की इसी सामाजिक परिस्थिति को देखते हुए श्रध्देय स्वामी रुपेश्वरानंद जी महाराज के नेतृत्व में जन समाज को संगठित करने तथा उन्हें दैवीय सहायता , आत्मरक्षा , सामूहिक सुरक्षा के लिए प्रेरित एवं संगठित करने का संकल्प लिया गया है !
श्रध्देय स्वामी रुपेश्वरानंद जी महाराज का सन्देश है कि, हमें एक दुसरे की सहायता के लिए संगठित और तत्पर रहना होगा ! यदि हम संकट के समय किसी की सहायता नहीं कर सकते है तो हमें भी संकट के समय सहायता प्राप्त होगी , यह आशा त्याग देनी चाहिए ! यदि हम चाहते है की , हमें संकट के समय , आपातकाल के समय सहायता प्राप्त हो , तो हमें भी दूसरों की सहायता करनी होगी !
इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए जन समाज की दैवीय सहायता एवं सुरक्षा हेतु स्वामी जी के नेतृत्व में श्री बजरंग बाण अभियान, राष्ट्र रक्षा अनुष्ठान ( यज्ञ ) आदि दैवीय अभियान का पिछले 3 वर्षों से सञ्चालन किया जा रहा है ! इसी के साथ अब सामाजिक एवं भौतिक धरातल पर भी सनातन जन समाज को संगठित एवं प्रेरित करने हेतु " श्री बजरंग बाण समूह " का संचालन गाँव - गाँव और नगर - नगर करने का अभियान आरम्भ किया जा रहा है ! यह whatsapp Group है , जो साप्ताहिक सामूहिक पाठ आदि आयोजन करेगा !
जो सनातन धर्म अनुयायी अपनी , अपने परिवार की , अपने बाल बच्चों की संकटकालीन समय में सहायता एवं सुरक्षा चाहते है , वे अपने क्षेत्र के " श्री बजरंग बाण समूह " में सम्मिलित हो जाएँ और श्रध्देय स्वामी रुपेश्वरानंद जी महाराज के नेतृत्व में " श्री बजरंग बाण समूह सदस्य " बने !
" श्री बजरंग बाण समूह " में किसी भी प्रकार असंवैधानिक चर्चा अथवा गतिविधि की अनुमति नहीं होगी !
" श्री बजरंग बाण समूह " पूर्णतः स्वयंसेवी समूह है , जो सनातन धर्म एवं संस्कृति में आस्था रखते है तथा जो श्रध्देय स्वामी रुपेश्वरानंद जी के नेतृत्व में राष्ट्र , धर्म एवं जन समाज की सेवा में तत्पर है !
समस्त " श्री बजरंग बाण समूहों" का सञ्चालन श्रध्देय स्वामी रुपेश्वरानंद जी महाराज के नेतृत्व में " स्वामी रुपेश्वरानंद आश्रम " के माध्यम से किया जाएगा !
श्री बजरंग बाण समूह की अपने गाँव अथवा नगर में स्थापना एवं सञ्चालन के लिए क्या करें ?
1- श्री बजरंग बाण समूह की अपने क्षेत्र में , गाँव , नगर में स्थापना एवं संचालन करने हेतु निम्नलिखित फॉर्म भरकर भेजें !
अथवा मो. न. +91 - 981 7777 108 पर वाट्सएप सन्देश भेजें !
2 - अपने क्षेत्र के श्री बजरंग बाण समूह सदस्य बनने हेतु अथवा क्षेत्रीय श्री बजरंग बाण समूह में सम्मिलित होने हेतु मो. न. +91 - 981 7777 108 पर वाट्सएप सन्देश भेजें +91 - 981 7777 108 नंबर पर मिस कॉल ( miss call ) करें !
श्री बजरंग बाण समूह की अपने गाँव अथवा नगर में स्थापना एवं सञ्चालन के नियम क्या है ?
1- श्री बजरंग बाण समूह के सदस्य / संचालक का भारतीय सनातन संस्कृति के प्रति आस्थावान होना चाहिए !
2- समाज कल्याण , राष्ट्र हित , सेवा भाव से समूह सदस्य बनाने का इच्छुक होना चाहिए !
3- सनातन धर्म एवं संस्कृति के प्रचार - प्रसार हेतु कम से कम प्रतिदिन 300 रु. मासिक दान कर सके ! अर्थात साप्ताहिक 70 रु. , मासिक दान 300 /- रु. के रूप में जमा कर सकें ! यह दान केवल स्वामी रुपेश्वरानंद अथवा स्वामी रुपेश्वरानंद आश्रम को ही भेजा जाय ! क्योकिं समस्त समूहों का संचालन एवं सनातन धर्म का प्रचार - प्रसार आदि स्वामी रुपेश्वरानंद अथवा स्वामी रुपेश्वरानंद आश्रम के माध्यम से किया जायेगा !
4- क्षेत्रीय सामूहिक श्री बजरंग बाण पाठ में सम्मिलित हो सके एवं संकटकालीन समय में सामूहिक रूप से एक दुसरे की सहायता के लिए तत्पर रह सकें !
5 - श्रध्देय स्वामी रुपेश्वरानंद जी के मार्गदर्शन एवं नेतृत्व में आस्थावान हो !